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सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे गिरकर 85.63 पर पहुंच गया। यह गिरावट वैश्विक व्यापार युद्ध के प्रभावों के चलते देखने को मिली, जहां अमेरिका और चीन के बीच शुल्क युद्ध ने वैश्विक बाजारों को हिला कर रख दिया है।
वैश्विक स्तर पर निवेशकों में अनिश्चितता के माहौल के कारण शेयर बाजारों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है। इसका सीधा असर भारतीय मुद्रा पर भी पड़ा है।
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिवसीय बैठक शुरू की है, जहां ब्याज दरों को लेकर फैसला बुधवार को लिया जाएगा। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक के परिणाम रुपये की चाल पर निर्णायक प्रभाव डाल सकते हैं।
हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर के कमजोर होने के बावजूद विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार पूंजी निकासी से रुपये पर दबाव बना हुआ है।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 85.79 पर खुला और थोड़े सुधार के साथ 85.63 पर पहुंचा। शुक्रवार को यह 85.44 पर बंद हुआ था।
डॉलर इंडेक्स 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 102.71 पर रहा, जबकि ब्रेंट क्रूड की कीमतें 2.73 प्रतिशत गिरकर 63.79 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं।
घरेलू शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जहां सेंसेक्स 4 प्रतिशत गिरकर 72,350.37 पर और निफ्टी 4.44 प्रतिशत गिरकर 21,887.70 पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए।
हालांकि, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 665.396 अरब डॉलर हो गया है, जो लगातार चौथे सप्ताह बढ़ा है। सेवा क्षेत्र पीएमआई मार्च में थोड़ी गिरावट के साथ 58.5 रहा, जो मांग में नरमी और महंगाई के दबाव में कमी को दर्शाता है।