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रामपुरा ब्लॉक क्षेत्र के लिए तीन साल पहले स्वीकृत की गई महत्वाकांक्षी 1200 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना किसानों के साथ भूमि समझौतों में देरी के कारण रुकी हुई है। यह परियोजना, जिसे अब तक पूरा हो जाना चाहिए था, अब आगे बढ़ रही है क्योंकि किसानों ने सहमति पत्र देना शुरू कर दिया है।
जिले में सौर ऊर्जा परियोजनाओं का खाका तैयार किया गया था, जिसमें से कुछ परियोजनाएं पूरी भी हो चुकी हैं। इसी पहल के तहत तीन साल पहले रामपुरा विकास खंड के बीहड़ क्षेत्र में 1200 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्वीकृत किया गया था। 6,000 एकड़ में फैली और करीब 6,500 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के लिए किसानों से भूमि अधिग्रहण की जरूरत थी।
शुरुआत में किसान अपनी जमीन देने के लिए अनिच्छुक थे, जिससे परियोजना अटक गई। हालांकि, अब करीब 1,400 किसानों ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर सहमति जता दी है, जिससे टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। परियोजना का लक्ष्य 1200 मेगावाट बिजली पैदा करना है। समझौते के मुताबिक किसानों को हर तीन साल में 5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 15,000 रुपये प्रति एकड़ किराया मिलेगा। इसके अलावा, प्रभावित किसान परिवारों के युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे, ताकि उन्हें कहीं और काम की तलाश न करनी पड़े।
प्लांट से उत्पादित बिजली राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड और भारतीय रेलवे को आपूर्ति की जाएगी, साथ ही राज्य सरकार निजी संस्थाओं को बिजली बेचने की भी योजना बना रही है। इससे न केवल सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि परियोजना के समग्र लाभ में भी वृद्धि होगी। परियोजना पर काम अब गति पकड़ रहा है, सौर पार्क के निर्माण पर 800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि पूरी परियोजना की कीमत 6,500 करोड़ रुपये है।
यदि समय पर भूमि समझौते को अंतिम रूप दिया गया होता, तो परियोजना लगभग पूरी हो गई होती। बुंदेलखंड सौर ऊर्जा के सिविल मैनेजर संजीव कुमार पांडे ने कहा, "परियोजना पर काम अब तेजी से आगे बढ़ रहा है, किसान सक्रिय रूप से सहमति पत्र दे रहे हैं। यदि भूमि अनुबंध पहले ही तय हो गया होता, तो परियोजना लगभग पूरी हो गई होती।"