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आरबीआई गवर्नर ने इस बात पर खेद जताया कि
अधिकांश बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने अपनी शाखाओं या कार्यालयों को केंद्रीय डेटाबेस से जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान नहीं की है। इससे ग्राहकों को असुविधा होती है। सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही यह सुविधा दी जा सकती है। मल्होत्रा ने कहा कि बैंकों को ग्राहक सेवाओं में सुधार करने की जरूरत है और यह उनका कर्तव्य भी है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब बैंक ग्राहक केवाईसी जमा करने के बार-बार अनुरोध के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर असुविधा की शिकायत कर रहे हैं।
बैंकों को ग्राहकों की शिकायतों को गलत तरीके से वर्गीकृत नहीं करना चाहिए
आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को चेतावनी दी कि वे ग्राहकों की शिकायतों को गलत तरीके से वर्गीकृत न करें। ऐसा करना घोर विनियामक उल्लंघन है। उन्होंने कहा, 2023-24 में बैंकों को एक करोड़ ग्राहक शिकायतें मिली हैं। अगर अन्य विनियमित संस्थाओं के खिलाफ प्राप्त शिकायतों को शामिल किया जाए तो यह संख्या और बढ़ जाएगी। इन शिकायतों में से 57 प्रतिशत के लिए आरबीआई लोकपाल की मध्यस्थता या हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।