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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में नवनिर्मित पंबन रेल पुल का भव्य उद्घाटन किया। यह नया पुल 110 साल पुराने ऐतिहासिक पंबन ब्रिज का स्थान लेगा, जिसने दशकों तक रामेश्वरम को भारतीय मुख्य भूमि से जोड़े रखा।
पंबन ब्रिज भारतीय इंजीनियरिंग की एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, जिसे साल 1914 में शुरू किया गया था। यह देश का पहला समुद्री पुल था जो 12.5 मीटर समुद्र तल से ऊंचा बना था और इसमें कुल 145 पियर्स थे। इसकी सबसे खास बात थी इसका डबल-लीफ बासक्यूल (Scherzer Rolling Lift) ब्रिज, जो शिप्स के गुजरने के लिए खुलता था।
रामेश्वरम को श्रीलंका (तब का सिलोन) से जोड़ने की योजना सबसे पहले 1876 में सोची गई थी, जिसे "एडम्स ब्रिज रूट" कहा जाता था। हालांकि उस समय भारी लागत के कारण यह परियोजना टाल दी गई थी। बाद में 1906 में एक नया रेलवे प्लान पास हुआ जिसमें मदुरै से धनुषकोडी होते हुए रामेश्वरम तक रेल लाइन बनाई गई और वहां से श्रीलंका के लिए स्टीमर सेवा शुरू की गई।
नया पंबन पुल आधुनिक तकनीक से लैस है और इसमें तेज़ गति की ट्रेनों के संचालन की पूरी सुविधा है। इस पुल से न केवल यात्रियों को तेज़ और सुरक्षित यात्रा मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि "यह पुल आत्मनिर्भर भारत के विजन का उदाहरण है। यह हमारी इंजीनियरिंग शक्ति और विकासशील सोच का प्रतीक है।"
पंबन पुल दक्षिण भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से भी गहराई से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह रामेश्वरम जैसे तीर्थस्थल को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।