क्या आपने किसी को कभी मूर्ख बनाया है, नही तो आज ही मनाएं मूर्ख दिवस

Thu , 01 Apr 2021, 3:03 pm
क्या आपने किसी को कभी मूर्ख बनाया है, नही तो आज ही मनाएं मूर्ख दिवस

क्या आप कभी मूर्ख बने है, या आपने किसी को मूर्ख बनाया है। अगर नही तो आज आप कर सकते है ये काम, और हैरानी की बात ये है कि आज आपकी शरारतों का कोई बुरा नही मानेगा। जीहां 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाया जाता है।
 
 
दुनियाभर में इस दिन को मूर्ख दिवस कहते हैं। इस दिन लोग अपने मित्रों और सगे-सम्बन्धियों को मूर्ख बनाकर खुश होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अप्रैल फूल क्यों मनाया जाता है। इस दिन का क्या महत्व है और इससे क्या किस्से जुड़े हैं। अप्रैल फूल डे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
 
 
कुछ देशों में 1 अप्रैल को छुट्टी होती है। लेकिन भारत सहित कुछ देशों में अप्रैल फूल के दिन कोई छुट्टी नहीं होती है। 1 अप्रैल को हर तरह का मजाक करने की छूट होती है। यही नहीं जिनके साथ मजाक होता है वह बुरा भी नहीं मानते।

मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल डे अलग-अलग देशों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। कुछ देशों- आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में अप्रैल फूल डे केवल दोपहर तक मनाया जाता है। इन देशों में अप्रैल फूल डे दोपहर तक मनाए जाने के पीछे यह वजह है कि यहां के अखबार केवल सुबह के अंक में मुख्य पेज पर अप्रैल फूल डे से जुड़े विचार रखते हैं। इसके अलावा फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है और पूरे दिन मूर्ख दिवस मनाया जाता है।

इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1 अप्रैल के दिन कई फनी घटनाएं हुई, जिसके चलते इस दिन को अप्रैल फूल-डे के तौर पर मनाया जाने लगा। जैसे 1539 में फ्लेमिश कवि 'डे डेने' ने एक अमीर आदमी के बारे में लिखा जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए बाहर भेजा। 1 अप्रैल 1698 को कई लोगों को 'शेर की धुलाई देखने' के लिए धोखे से टावर ऑफ लंदन में ले जाया गया।
 
 
 
लेखक कैंटरबरी टेल्स (1392) ने अपनी एक कहानी 'नन की प्रीस्ट की कहानी' में 30 मार्च और 2 दिन लिखा, जो प्रिंटिंग में गलती के चलते 32 मार्च हो गई, जो असल में 1 अप्रैल का दिन था। इस कहानी में एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था। इस गलती के बाद कहा जाने लगा कि लोमड़ी ने 1 अप्रैल को मुर्गे को बेवकूफ बनाया। वहीं, अंग्रेजी साहित्य के महान लेखक ज्योफ्री चौसर का 'कैंटरबरी टेल्स (1392)' ऐसा पहला ग्रंथ है जहां 1 अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध जिक्र किया गया था।
 
 
 
ऐसे तमाम किस्से हैं जिस वजह से पहली अप्रैल को बहुत फनी काम हुए और तो कुछ प्लैन किए गए, जिस वजह से 1 अप्रैल को अप्रैल फूल-डे के तौर पर मजेदार तरीके से सेलिब्रेट किया जाने लगा। कहानी नन्स प्रीस्ट्स टेल के मुताबिक, इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च घोषित कर दी गई जिसे वहां की जनता ने सच मान लिया और मूर्ख बन बैठे। तब से 32 मार्च यानी 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाया जाता है।
 
 

एक और कहानी के मुताबिक, प्राचीन यूरोप में नया साल हर वर्ष 1 अप्रैल को मनाया जाता था। 1582 में पोप ग्रेगोरी 13 ने नया कैलेंडर अपनाने के निर्देश दिए जिसमें न्यू ईयर को 1 जनवरी से मनाने के लिए कहा गया।
 
 
रोम के ज्यादातर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन बहुत से लोग तब भी 1 अप्रैल को ही नया साल के रूप में मानते थे। तब ऐसे लोगो को मूर्ख समझकर उनका मजाक उड़ाया।
 
 
 
कोरिया में साल के पहले दिन स्रोवी डे मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे से झूठ बोलते हैं या हंसी-मजाक करते हैं। स्कॉटलैंड में अप्रैल फूल डे को हंट द गौक डे कहा जाता है।
 
 
 
फ्रांस, इटली और बेल्जियम में अप्रैल फूल डे को कागज की मछली बनाकर दोस्तों के पीछे चिपका दिया जाता है। इस तरह ये लोग दूसरों का मजाक बनाकर मस्ती करते हैं।
 
 
 
ऐसे ही प्रत्येक देश में अप्रेल फूल को लेकर एनको कहानीयां है परंतु इस दिवस का मुख्य मकसद जिंदगी के नीरस पन को दूर कर खुशियों के रंग भरना है तो हो जाएं तैयार मूर्ख बने या बनाएं परंतु जिंदगी में हमेशा मुस्कुराए।

 

(Anjul Tyagi)

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