हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएफसीएल) से असम में स्थित नामरूप इकाइयों के अलगाव के बाद ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीवीएफसीएल) 5 अप्रैल 2002 को निगमित किया गया।
बीवीएफसीएल भारत सरकार द्वारा 100% शेयरधारिता से रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उर्वरक विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में है। यह भारत में पहला कारखाना है जो नाइट्रोजनी उर्वरकों के उत्पादन के लिए बुनियादी कच्चे माल के रूप में संबद्ध प्राकृतिक गैस का उपयोग करता है।
नामरूप -1 नामांकित पहला संयंत्र समूह जिसमें एक सल्फ्यूरिक एसिड (2 × 125 मीट्रिक टन दैनिक ), एक अमोनियम सल्फेट (3 × 101 मीट्रिक टन दैनिक) और एक 167 मीट्रिक टन दैनिक उत्पादन क्षमता का यूरिया-अमोनिया संयंत्र शामिल थे , जिन्हें जनवरी 1969 में शुरू किया गया था। ये सभी संयंत्रों अब निष्क्रिय अवस्था में हैं।
मैसर्स ऑयल इंडिया लिमिटेड के निकटवर्ती तेल क्षेत्रों में गैस की उपलब्धता बढ़ने के कारण सरकार ने नामरूप उर्वरक संयंत्र की दूसरी इकाई को लगाकर इस संबद्ध प्राकृतिक गैस का लाभ उठाने का निर्णय लिया। 1 अक्टूबर 1976 को संयंत्र का वाणिज्यिक उत्पादन में शुरू हुआ । निहित डिजाइन की कमियाँ , अप्रमाणित उपकरणों का उपयोग आदि के कारण इकाई का क्षमता का उपयोग कभी भी संतोषजनक नहीं था। इस संयंत्र को 3,30,000 मीट्रिक टन यूरिया की वार्षिक उत्पादन क्षमता के साथ Rs.74.60 करोड़ की लागत से लगाया गया था।