नई दिल्ली, 3 दिसंबर (पीटीआई) राज्यसभा ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जिसमें तेल और गैस की खोज और उत्पादन को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून में संशोधन करने और इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोलियम परिचालन को खनन परिचालन से अलग करने का प्रावधान है।
इस साल अगस्त में राज्यसभा में पेश किए गए तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
यह भी पढ़ें : सुप्रकाश अधिकारी एनएचपीसी लिमिटेड के अगले निदेशक (तकनीकी) नियुक्तविधेयक पर बहस का जवाब देते हुए तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र में उच्च निवेश और लंबी अवधि की आवश्यकता होती है। पुरी ने कहा, "हमें तेल और गैस क्षेत्र को 20 साल और चलाने की आवश्यकता है।
हमें इस कानून को यहां लाने की आवश्यकता है, ताकि न केवल हमारे अपने ऑपरेटरों को बल्कि विदेशी निवेशकों को भी जीत का भरोसा मिले, ताकि वे यहां आकर सभी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से व्यापार कर सकें।" उन्होंने कहा कि नीति स्थिरता, विवाद समाधान और बुनियादी ढांचे को साझा करना, विशेष रूप से छोटे खिलाड़ियों के लिए विधेयक में नए प्रावधान हैं।
विधेयक का उद्देश्य मूल 1948, तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को "दंड, न्यायाधिकरण द्वारा न्यायनिर्णयन और न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील" पेश करके अपराधमुक्त करना है।
विधेयक में 'पेट्रोलियम लीज' शुरू करने का प्रस्ताव है और खनिज तेलों की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कंडेनसेट, कोल बेड मीथेन, ऑयल शेल, शेल गैस, शेल ऑयल, टाइट गैस, टाइट ऑयल और गैस हाइड्रेट को शामिल किया गया है। यह घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से है।
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