मध्य पूर्व में संभावित निवेशकों तक पहुंचा बीईएल

New Delhi- नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) दिनांक 12 से 15 सितंबर, 2022 तक निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) और रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के तत्वावधान में मध्य पूर्व (दुबई और अबू धाबी) में आयोजित निवेशक आउटरीच कार्यक्रम में भाग ले रहा है। श्री दिनेश कुमार बत्रा, सीएमडी, निदेशक (वित्त) और सीएफओ, दुबई और अबू धाबी में संभावित निवेशकों के लिए प्रस्तुतीकरण कर रहे हैं कि उन्हें बीईएल में निवेश क्यों करना चाहिए।
 
श्री बत्रा ने निवेशकों के साथ साझा किया कि बीईएल के पास एक मजबूत आदेश बही है और पिछले 3 वर्षों में लाभ में लगातार वृद्धि दिखा रहा है; बीईएल आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी भारत सरकार की विभिन्न स्वदेशीकरण पहलों में सक्रिय रहा है, जिनमें अच्छी कारोबारी क्षमता है; बीईएल एक अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी संचालित कंपनी है जो प्रमुख रक्षा प्रणालियों, उत्पादों / समाधानों का निर्माण करती है; और कंपनी के पास विश्व स्तरीय विनिर्माण अवसंरचना है।
 
उन्होंने बताया कि बीईएल की एएए (स्टेबल - लंबी अवधि) और ए1+ (अल्पावधि) की आईसीआरए क्रेडिट रेटिंग है; राजस्व और लाभप्रदता के मामले में लगातार प्रदर्शन, एक मजबूत तुलन-पत्र, शून्य ऋण, सकारात्मक नकदी प्रवाह और हर वर्ष शेयरधारकों को उच्च लाभांश प्रदान करता है।
 
बीईएल द्वारा अगस्त 2022 में 2:1 के अनुपात में बोनस शेयरों की घोषणा की गई थी। श्री बत्रा ने निवेशकों को बताया कि बीईएल का मार्केट कैप पिछले वर्ष 6,050 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 10,100 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
 
बीईएल ने शस्त्र और गोला-बारूद, सीकर्स और मिसाइल, नेटवर्क और साइबर सुरक्षा और मानव रहित प्रणाली, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, रेलवे / मेट्रो / एयरपोर्ट समाधान, अंतरिक्ष इलेक्ट्रॉनिक्स और सिस्टम, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, वैकल्पिक ऊर्जा समाधान, सुरक्षित संचार समाधान और सॉफ्टवेयर में विविधता लाई है।
 
इस निवेशक आउटरीच कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हें समग्र भारत की विकास कहानी और संभावित संस्थागत और उच्च मूल्य वाले निवेशकों के लिए रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के आकर्षण से परिचित कराना है। रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सरकारी पहलों ने जीवंतता पैदा की है और बीईएल को न केवल स्वदेशी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद की है बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पेशकशों को बढ़ाने में मदद की है।

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